UPSC DAILY CURRENT 23-07-2018
मेघालय युग : पृथ्वी के इतिहास में एक नया युग
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 : भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज। (खंड-12 : : भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएँ (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव) |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भू-वैज्ञानिकों ने धरती के इतिहास में एक नए युग ‘मेघालय युग’ (Meghalayan Age) की खोज की है। अंतर्राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक विज्ञान संघ (International Union of Geological Sciences – IUGS) ने आधिकारिक तौर पर इस नए चरण को स्वीकार कर लिया है।
प्रमुख बिंदु
- भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि इस युग की शुरुआत 4200 साल पहले हुई थी और यह आज तक जारी है।
- भू-वैज्ञानिक इतिहास के दृष्टिकोण से हम जिस युग में रह रहे हैं वह होलोसीन युग है।
होलोसीन युग :
- भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, होलोसीन युग का प्रारंभ लगभग 11,700 साल पहले हुआ था।
- ICS (International Chronostratigraphic Chart ) में होलोसीन युग को तीन उपवर्गों में बाँटा गया है। होलोसीन युग की शुरुआत को ‘ग्रीनलैंडियन’ (11,700-8,326 साल पूर्व) नाम दिया गया है यह वह युग था जब पृथ्वी हिमयुग से बाहर आई थी।
- मध्य होलोसीन युग को ‘नॉर्थग्रिपियन’ (8,326-4200 वर्ष पूर्व) नाम दिया गया है।
- ‘मेघालय युग’ होलोसीन युग का नवीनतम युग है।
- माना जाता है कि धरती का निर्माण लगभग 4.6 अरब साल पहले हुआ था। तब से पृथ्वी के अस्तित्व को कई युगों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक युग प्रमुख घटनाओं जैसे- महाद्वीपीय विस्थापन, पर्यावरण में परिवर्तन या धरती पर खास तरह के जानवरों और पौधों की उत्पत्ति पर आधारित है।
- भू-वैज्ञानिकों द्वारा की गई खोज के अनुसार, ‘मेघालय युग’ की शुरुआत भयंकर सूखे के साथ हुई थी जिसका असर 200 सालों तक रहा।
- इस सूखे के कारण मिस्र, यूनान, सीरिया, फिलिस्तीन, मेसोपोटामिया, सिंघु घाटी और यांग्त्से नदी घाटी में खेती आधारित सभ्यताएँ समाप्त हो गईं।
इस युग का नाम ‘मेघालय युग’ ही क्यों?
- शोधकर्त्ताओं की अंतर्राष्ट्रीय टीम ने मेघालय की एक गुफा मावम्लूह (Mawmluh Cave) की छत से टपक कर फर्श पर जमा हुए स्टैलेगेमाइट चूने को एकत्र कर उसका अध्ययन किया। इस अध्ययन ने धरती के इतिहास में घटी सबसे छोटी जलवायु घटना को परिभाषित करने में मदद की। इसी कारण इस युग को ‘Meghalayan Age’ या ‘मेघालय युग’ नाम दिया गया।
अंतर्राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक विज्ञान संघ (International Union of Geological Sciences – IUGS)
- IUGS एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जो भूविज्ञान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये समर्पित है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1961 में की गई थी।
- वर्तमान में 121 देशों (और क्षेत्रों) के भू-वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व IUGS में 121 अनुपालन संगठनों के माध्यम से किया जाता है।
2+2 वार्ता की मेज़बानी करेगा भारत
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध। (खंड-18 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
चर्चा में क्यों?
भारत 6 सितंबर को संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ 2+2 वार्ता के उद्घाटन दौर की मेज़बानी करेगा। इस मंत्रिस्तरीय बैठक में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों को शामिल किया जाएगा| इस वार्ता का नेतृत्व भारत की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिका की ओर से राज्य सचिव माइक आर.पोम्पेओ तथा रक्षा सचिव जेम्स मैटिस करेंगे|
प्रमुख मुद्दे
- दोनों देशों के बीच सामरिक और सुरक्षा संबंधों को मज़बूत करने के उद्देश्य से 2+2 बैठक में साझा हित से संबंधित द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों की विस्तृत श्रृंखला शामिल होगी।
- जून 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने रणनीतिक स्तर की वार्ता के लिये “2+2” वार्ता पर सहमति व्यक्त की थी।
- पिछले साल जून के बाद बैठक की घोषणा दो बार स्थगित की जा चुकी है क्योंकि अमेरिका के ईरान विरोधी प्रतिबंध भारत के ऊर्जा परिदृश्य को प्रभावित कर सकते हैं।
- वार्ता का यह नया प्रारूप ओबामा प्रशासन के दौरान आयोजित दोनों देशों के विदेश और वाणिज्य मंत्रियों के बीच हुए रणनीतिक और वाणिज्यिक वार्तालाप को प्रतिस्थापित करता है।
- वार्ता का प्रमुख फोकस संचार, संगतता, सुरक्षा समझौते (COMCASA) जैसे प्रमुख रक्षा समझौतों को अंतिम रूप देने पर होगा| COMCASA, एक बुनियादी रक्षा संधि है जो भारत को अन्य देशों से महत्त्वपूर्ण, सुरक्षित और एन्क्रिप्टेड रक्षा प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी।
ईरान के खिलाफ प्रतिबंध
- ‘2+2 वार्ता’ की घोषणा ईरान और रूस पर लक्षित अनपेक्षित प्रतिबंधों से जुड़ी भारत की संभावनाओं के बीच आई है।
- अतीत में अमेरिका ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा में ईरानी कच्चे तेल की केंद्रीय भूमिका निभाई थी। साथ ही, नई दिल्ली ने धीरे-धीरे अमेरिकी प्रतिबंधों का अनुपालन करने और वाशिंगटन से आवश्यक छूट को सुरक्षित करने के लिये अपने तेल आयात को कम कर दिया।
- अमेरिका ने भारत सहित सभी देशों से कहा है कि वे 4 नवंबर तक ईरान से अपना तेल आयात बंद करें। अगर भारत इसका पालन नहीं करता है तो देसी कंपनियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
- ईरान को लेकर ट्रंप प्रशासन ने अतिवादी रुख अख्तियार कर लिया है और इस मोर्चे पर वह कोई ढील देने को तैयार नहीं है। वहीं, ईरान भी इस मामले में तीखे तेवर दिखा रहा है। उसने भारत को हिदायत दी है कि ईरान के साथ तेल आयात कम करने का असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ेगा।
- यह याद रखना महत्त्वपूर्ण है कि अतीत में भारत ने ईरानी तेल की खरीद के संबंध में प्रतिबंध के खतरे का सामना किया है।
- रूस के साथ भारत के रक्षा सौदों पर भी अमेरिका की टेढ़ी नज़र है। भारत रूस से सतह से हवा में मार करने वाली एस 400 मिसाइल खरीदने की प्रक्रिया में है जिस पर अब अमेरिकी ग्रहण लग गया है। असल में अमेरिका ने उन देशों पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान किया है जो उसके द्वारा काली सूची में डाली गई 39 रूसी कंपनियों से किसी भी प्रकार का वित्तीय लेन-देन करेंगे।
- ईरान और रूस से जुड़े मसलों के अलावा व्यापार के क्षेत्र में भी भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव बढ़ा है। ट्रंप प्रशासन नई दिल्ली पर आयात शुल्क घटाने का दबाव बढ़ा रहा है।
- यह पाकिस्तान के चुनावों के बाद दोनों पक्षों के बीच उच्चस्तरीय बातचीत का पहला दौर होगा जो जुलाई के आखिरी सप्ताह में समाप्त होगा।
वार्ता का महत्त्व
- यह वार्ता इस क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों के लिये विचारों को साझा करने का मौका है तथा पारस्परिक उद्देश्यों तक पहुँचने के लिये समन्वित रचनात्मक तरीका भी है|
- उल्लेखनीय है कि दोनों पक्ष भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा कर सकते हैं, जहाँ चीन अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। भारत, वार्ता के दौरान ट्रंप प्रशासन के रूस के खिलाफ प्रतिबंधों के कारन भारत पर पड़ने वाले प्रभाव का मामला उठा सकता है।