UPSC DAILY CURRENT 25-09-2018
उम्मीदवार के प्रचार को प्रकाशित करना ‘पेड न्यूज़’ है: निर्वाचन आयोग
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध। (खंड- 06 : कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।) |
चर्चा में क्यों
हाल ही में निर्वाचन आयोग ने चुनावों के दौरान ‘पेड न्यूज़’ के प्रयोग के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी राय ज़ाहिर की है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि चुनाव में उम्मीदवार की उपलब्धियों की सराहना करते हुए प्रचार को बार-बार प्रकाशित करना ‘पेड न्यूज’ की श्रेणी में आता है। इस तरह के प्रचारों को अभिव्यक्ति की आज़ादी के रूप में अनुमति नहीं दी जा सकती है।
- निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि चुनाव में उम्मीदवार की उपलब्धियों की सराहना करते हुए प्रचार को बार-बार प्रकाशित करना ‘पेड न्यूज’ है।
- राजनेता यह नहीं कह सकते है कि ‘प्रायोजित प्रचार’ को दूर करने के लिये अभिव्यक्ति की आज़ादी उनके मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है।
- चुनाव आयोग ने अदालत से यह घोषणा करने के लिये कहा है कि व्यापक स्तर पर प्रसारित होने वाले दैनिक समाचार पत्रों द्वारा उम्मीदवारों के बयानों को खबर में सम्मिलित करना, उनके नाम पर दर्ज़ रिकॉर्ड तथा उपलब्धियों का न केवल बखान करना है बल्कि यह वोट के लिये उम्मीदवार द्वारा मतदाताओं के समक्ष सीधा अनुरोध भी है। क्या यह “पेड न्यूज” के समान नहीं है?
- अनुचित लाभ- यदि चुनाव अवधि के दौरान अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ में इस तरह के प्रायोजित प्रचार की अनुमति दी जाती है, तो मज़बूत नेटवर्क और अपरिभाषित संबंध वाले उम्मीदवार समाज में अपने प्रभाव क्षेत्र का फायदा उठाएंगे और इस तरह की मूक सेवाओं का फायदा उठाते हुए अनुचित लाभ उठाएंगे।
हालिया प्रकरण
- आयोग शीर्ष अदालत में दिल्ली उच्च न्यायालय के एक निर्णय के खिलाफ पहुँचा था, जिसमें मध्य प्रदेश के बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा को ‘पेड न्यूज’ के आरोपों में तीन साल के लिये अयोग्य ठहराने के आयोग के फैसले को उच्च न्यायालय ने 18 मई को खारिज कर दिया था।
- पेड न्यूज पर आयोग की राष्ट्रीय स्तर की समिति ने पाया कि व्यापक रूप से प्रसारित होने वाले पाँच समाचार पत्रों ने 42 ऐसे समाचार प्रकाशित किये थे जो ‘पक्षपातपूर्ण और एक तरफा थे तथा जिनका उद्देश्य श्री मिश्रा को आगे बढ़ाना था।
- कुछ रिपोर्ट उनके पक्ष में विज्ञापन के रूप में थीं। समिति ने निष्कर्ष निकाला कि इन्हें ‘पेड न्यूज’ के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
- चुनाव आयोग ने श्री मिश्रा को चुनाव खर्च के रूप में समाचारों पर खर्च की गई ऐसी धनराशि को खातों में दर्ज न करने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया था। एक डिवीज़न बेंच ने निष्कर्ष निकाला कि बीजेपी नेता केवल भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग कर रहे थे।
- आयोग ने कहा कि “इस तरह के समाचार कवरेज की सामग्री की जाँच करने की आयोग की शक्तियों को समाप्त नहीं करना चाहिये।”
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 : शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध। (खंड- 10 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) (खंड- 13 : स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
चर्चा में क्यों?
23 सितबंर, 2018 को रांची, झारखंड में विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत की गई।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की व्यापकता
- इसमें कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों सहित 1300 बीमारियों को शामिल किया गया है। निजी अस्पताल भी इस योजना का हिस्सा होंगे।
- देश भर में 10.74 करोड़ से अधिक गरीब और कमज़ोर परिवारों (लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों) को इसमें शामिल किया गया है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के 1 करोड़ 18 लाख परिवारों को इस योजना के दायरे में लाया गया है।
- इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को हर वर्ष 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाएगा।
- 5 लाख रुपए की राशि में सभी प्रकार की जाँच, दवा, अस्पताल में भर्ती का खर्च आदि भी शामिल होंगे।
- देश भर के 13,000 से ज़्यादा अस्पतालों को इस योजना में शामिल किया गया है।
- इस योजना के तहत बच्चियों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की प्राथमिकता दी जाएगी।
- आवश्यकता के समय सभी सार्वजनिक और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में मुफ्त उपचार उपलब्ध होगा।
- यह योजना 1,350 चिकित्सा पैकेज को कवर करती है जिसमें सर्जरी, चिकित्सा एवं देखभाल, दवाइयाँ और निदान की लागत आदि शामिल हैं।
- इस योजना के अंतर्गत पुरानी और नई सभी बीमारियों को शामिल किया गया है।
- यह योजना पेपरलेस तथा कैशलेस होगी।
- उपचार के लिये अस्पताल लाभार्थियों से अतिरिक्त पैसा नहीं वसूल कर पाएंगे।
- इस योजना के लाभार्थी भारत भर में कही भी सेवाओं का लाभ उठा सकते है।
- योजना के बारे में जानकारी या सहायता प्राप्त करने अथवा शिकायत दर्ज कराने के लिये 24X7 हेल्पलाइन नंबर- 14555 उपलब्ध है।
कौन होंगे लाभार्थी?
- सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (Socio-Economic and Caste Census- SECC) डेटाबेस में सूचीबद्ध सभी परिवारों को परिभाषित मानदंडों के अनुसार इस योजना के अंतर्गत कवर किया जाएगा। परिवार के आकार और सदस्यों की उम्र की कोई सीमा निश्चित नहीं की गई है।
SECC के अनुसार योजना के लाभार्थी
- ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न श्रेणियों में ऐसे परिवार शामिल हैं जिनके पास कच्ची दीवार और कच्ची छत के साथ एक कमरा है।
- ऐसे परिवार जिनमें 16 से 59 वर्ष की आयु के बीच का कोई वयस्क सदस्य नहीं है।
- ऐसे परिवार जिसकी मुखिया महिला है और जिसमें 16 से 59 वर्ष आयु के बीच का कोई वयस्क सदस्य नहीं है।
- ऐसा परिवार जिसमें कोई सदस्य दिव्यांग है और उस परिवार में शारीरिक रूप से सक्षम कोई वयस्क सदस्य नहीं है।
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति परिवार, मानवीय आकस्मिक मज़ूदरी से आय का बड़ा हिस्सा कमाने वाले भूमिहीन परिवार हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे परिवार स्वत: शामिल माने गए हैं जिनके रहने के लिये छत नहीं है, जो निराश्रित, खैरात पर जीवन-यापन करने वाले, मैला ढोने वाले परिवार, आदिम जनजाति समूह, कानूनी रूप से मुक्त किये गए बंधुआ मजदूर हैं।
31 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश योजना लागू करने को तैयार
- 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने इस योजना को लागू करने के लिये केंद्र सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
- तेलंगाना, ओडिशा, दिल्ली, केरल तथा पंजाब ने इस योजना को लागू न करने का विकल्प चुना है।
- उल्लेखनीय है कि तेलंगाना सरकार अपनी योजना आरोग्यश्री को जारी रखेगी जिसके अंतर्गत राज्य के 80 लाख परिवारों को कवर किया जाता है।
लाभार्थियों का निजी डाटा रहेगा सुरक्षित
- स्वास्थ्य बीमा के लाभार्थियों के निजी डाटा और संवेदनशील व्यक्तिगत सूचनाओं को पूरी तरह सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गई है और इनका इस्तेमाल निर्धारित कानूनी व्यवस्थाओं तथा नियमों के अनुकूल किया जाएगा।
- लाभार्थियों से संबंधित सूचनाओं को सुरक्षित रखने के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित बेहतर तरीकों को अपनाया जा रहा है।
- लाभार्थियों के डेटा के सुरक्षित इस्तेमाल के लिये विभिन्न स्तरों पर 94 से अधिक कंट्रोल सेट बनाए गए हैं।
- आँकड़ों को इकट्ठा करने, उन्हें सुरक्षित रखने और उनके इस्तेमाल के लिये कड़े नियम तय किये गए हैं।
मुद्रा लोन और ऋण जोखिम
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन। (खंड- 01 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन द्वारा संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा गया था कि कॉर्पोरेट ऋण के कारण उत्पन्न होने वाली गैर-निष्पादित संपत्तियाँ (Non-Performing Assets- NPA) मौजूदा समय में एक समस्या है और सरकार को इन समस्याओं पर ध्यान देना चाहिये।
रघुराम राजन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार:
- मुद्रा (MUDRA) लोन, ऋण जोखिम के संभावित कारणों में से एक है। इसके अलावा सरकार द्वारा महत्त्वाकांक्षी क्रेडिट लक्ष्यों को प्राप्त करने और ऋणों में दी जाने वाली छूट की संस्कृति भी ऋण जोखिम का कारण बनती है।
- कभी-कभी क्रेडिट लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये उचित प्रक्रियाओं को छोड़ दिया जाता है जो भविष्य में NPA जैसी स्थिति का कारण बनता है।
- MUDRA लोन और किसान क्रेडिट कार्ड दोनों ही लोकप्रिय ऋण हैं लेकिन सरकार को इनके कारण उत्पन्न होने वाले संभावित जोखिम के बारे में अधिक बारीकी से जाँच करने की आवश्यकता है।
- MSME के लिये सिडबी द्वारा संचालित क्रेडिट गारंटी योजना एक बढ़ती आकस्मिक देयता है और इसकी भी तत्काल जाँच किये जाने की आवश्यकता है।
मुद्रा (MUDRA) क्या है?
- ‘मुद्रा’ अर्थात् माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (Micro Units Development & Refinance Agency-MUDRA) की शुरुआत प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत 8 अप्रैल, 2015 को की गई थी।
- इसका उद्देश्य माइक्रो फाइनेंस को आर्थिक विकास के एक उपकरण के रूप में उपयोग करना है जो पिरामिड के निचले हिस्से में लोगों, छोटे विनिर्माण इकाइयों, दुकानदारों, फल और सब्जी विक्रेताओं, ट्रक और टैक्सी ऑपरेटरों को लक्षित करने, खाद्य सेवा इकाइयों, मरम्मत की दुकानों, मशीन ऑपरेटरों, कारीगरों और खाद्य उत्पादकों को आय सृजित करने का अवसर प्रदान करने में मदद करता है।
क्या पुनर्भुगतान एक चुनौती है?
- योजना के आलोचकों का कहना है कि ऋण को प्राधिकृत करने और वितरित करते समय बहुत सी सर्वोत्तम प्रथाओं की उपेक्षा की गई है।
- इस साल की शुरुआत में ही सीबीआई ने 65 लाख रुपए मूल्य के 26 मुद्रा ऋणों मंज़ूर करने और वितरित करने में आधिकारिक स्थिति के कथित दुरुपयोग के लिये पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
- भले ही व्यवसायियों विकास के नाम पर ऋण की मांग की जाती है और बैंकरों द्वारा यह जानते हुए भी कि उन लोगों द्वारा किया जाने वाला पुनर्भुगतान एक चुनौती है, आर्थिक विकास के नाम पर उनके ऋण को मंज़ूरी दे दी जाती है। इस प्रकार पुनर्भुगतान की समस्या बनी रहती है।
- यह योजना उन लोगों के लिये है, जिन्हें कम धनराशि के ऋण की आवश्यकता है, लेकिन ऐसे फंडों तक वे नहीं पहुँच पाते है, क्योंकि समस्या यह होती है कि ऐसे उधारकर्त्ताओं के कारोबार की प्रकृति अस्थिर होती है और उनके व्यापार का वार्षिक चक्र अतिसंवेदनशील होता है जैसे- सब्जी विक्रेता। अतः उन्हें दिये गए ऋण की वसूली कर पाना आसान नहीं होता।
- जब संग्रह की बात आती है तो बैंक कर्मचारी 10 लाख रुपए के ऋण की वसूली के लिये एक लाख रुपए वाले 10 ऋण के स्थान पर 10 लाख रुपए का एक बकाया वसूलने का विकल्प चुनते हैं।
ऋण का औसत आकार
- मुद्रा योजना के तहत ऋण को तीन स्तरों पर वितरित किया जाता है जिसकी सीमा 50,000 रुपए से शुरू होकर 10 लाख रुपए तक होती है।
- वित्तीय वर्ष 2017-18 में सभी तीन स्तरों के तहत लगभग 4.81 करोड़ PMMY ऋणों के लिये 2.53 लाख करोड़ रुपए का ऋण मंज़ूर किया गया था।
- वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिये स्वीकृत ऋण की औसत राशि 52,706 रुपए थी।
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार, उसने वित्त वर्ष 2017-18 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 28,556 करोड़ रुपए का ऋण दिया।
- इस योजना से उत्पन्न गैर-निष्पादित संपत्ति भारत के सबसे बड़े बैंक के लिये लगभग 5.2% है।
- PMMY को समर्पित वेबसाइट से संबंधित ऋणों की मात्रा या संग्रह के ब्योरे का कोई संकेत नहीं मिलता है।
- सरकार के अनुसार, 2015 में अपनी स्थापना के बाद से मुद्रा योजना के तहत लगभग 12 करोड़ लाभार्थियों को कुल 6 लाख करोड़ रुपए का ऋण उपलब्ध कराया गया था।
- इनमें से 3.25 करोड़ उद्यमी ऐसे थे जिन्होंने पहली बार कोई उद्यम शुरू किया हो और 9 करोड़ उधारकर्त्ता महिलाएँ थीं।