UPSC DAILY CURRENT 29-06-2018
एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) के संदर्भ में से निम्नलिखित कथनों में कौन-सा/से सत्य है/हैं?
- यह विश्व बैंक के अधीन एशिया के विकास के लिये समर्पित संस्था है।
- इसका मुख्यालय चीन के बीजिंग में है।
- इसके सदस्य देशों में केवल एशियाई देश ही शामिल हैं।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
A) | केवल 1 और 2 |
B) | केवल 2 |
C) | केवल 2 और 3 |
D) | 1, 2 और 3 |
उत्तर: (b)
व्याख्या:
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कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Cauvery Water Management Authority-CWMA) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये।
- इसके गठन का उद्देश्य तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुद्दुचेरी के बीच जल बँटवारे से संबंधित कावेरी जल अधिकरण के निर्णय को लागू करवाना है।
- यह प्राधिकरण जल वर्ष के शुरुआत में निर्दिष्ट जलाशयों में कुल अवशिष्ट भंडारण को निर्धारित करेगा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य है/हैं?
A) | केवल 1 |
B) | केवल 2 |
C) | 1 और 2 दोनों |
D) | न तो 1 और न ही 2 |
उत्तर: (c)
व्याख्या:
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जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये।
- जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते के तहत किया जाएगा।
- इस संयंत्र के माध्यम से 9,900 मेगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन प्रस्तावित है।
- जैतापुर भारत के पश्चिमी तट पर महाराष्ट्र में स्थित है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सत्य हैं?
A) | केवल 1 और 2 |
B) | केवल 2 और 3 |
C) | केवल 1 और 3 |
D) | 1, 2 और 3 |
उत्तर: (b)
व्याख्या:
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निम्नलिखित में से किस स्थान पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा ग्रेनाइट उद्योग के विकास के लिये एक क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है?
A) | कोरापुट, ओडिशा |
B) | सिंहभूम, झारखण्ड |
C) | करीमनगर, तेलंगाना |
D) | धनबाद, झारखण्ड |
उत्तर: (c)
व्याख्या:
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हाल ही में चर्चित ‘2+1’ वार्ता निम्नलिखित में से किसे संदर्भित करती है?
A) | चीन, भारत और नेपाल |
B) | अमेरिका, चीन और भारत |
C) | चीन, भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देश |
D) | चीन, दक्षिण कोरिया और अमेरिका |
उत्तर: (c)
व्याख्या:
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ECGC तथा NEIA में पूंजी निवेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन। (खंड-1 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) (खंड-2 : समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा छोटे निर्यातकों की मदद के उद्देश्य से एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन लिमिटेड (ECGC) तथा राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता ट्रस्ट (NEIA) को मज़बूती देने के लिये क्रमशः 2,000 करोड़ रुपए 1,040 करोड़ रुपए की निधि को मंज़ूरी दी गई है। ये पूंजी निवेश 3 वित्त वर्षों (2017-18, 2018-19 तथा 2019-20) के दौरान किये जाएंगे।
ECGC के लिये पूंजी निवेश का आवंटन
- वित्त वर्ष 2017-18 में 50 करोड़ रुपए
- वित्त वर्ष 2018-19 में 1,450 करोड़ रुपए
- वित्त वर्ष 2019-20 में 500 करोड़ रुपए
NEIA के लिये पूंजी निवेश का आवंटन
- वर्ष 2017-18 के लिये NEIA को 440 करोड़ रुपए की रकम पहले ही प्राप्त हो चुकी है।
- वर्ष 2018-19 और 2019-20 में प्रत्येक वर्ष के लिये NEIA को 300 करोड़ रुपए दिये जाएंगे।
- इस निधि से NEIA रणनीतिक एवं राष्ट्रीय महत्त्व की निर्यात परियोजनाओं को मदद देने में समर्थ होगा।
ECGC को पूंजी निवेश से होने वाले लाभ
- इस पूंजी निवेश से MSME क्षेत्र में निर्यात के लिये बीमा कवरेज में सुधार होगा और अफ्रीका, कामनवेल्थ इंडिपेंडेंट स्टेट्स (Commonwealth Independent States-CIS) तथा लैटिन अमेरिकी देशों के उभरते एवं चुनौतीपूर्ण बाज़ारों में भारत के निर्यात को मज़बूती मिलेगी।
- इस निवेश से पूंजी अनुपात के मुकाबले ECGC की बट्टेखाते में डालने की क्षमता व जोखिम में उल्लेखनीय सुधार होगा।
- बट्टेखाते (Bad Debt Account) में डालने की मज़बूत क्षमता होने से ECGC नए एवं उभरते बाज़ारों में भारतीय निर्यातकों को मदद देने के लिये बेहतर स्थिति में होगी।
- अधिक पूंजी निवेश से ECGC को अपने उत्पाद पोर्ट फोलियो में विविधता लाने और निर्यातकों को सस्ता बीमा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी जिससे वे चुनौतीपूर्ण बाज़ारों में भी स्वयं को स्थापित करने में समर्थ होंगे।
ECGC के तहत बीमा कवर से लाभ
- ECGC के तहत बीमा कवर से भारतीय निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धात्मक स्थिति सुधारने में भी मदद मिलेगी।
- ECGC के तहत बीमा कवर से लाभान्वित होने वाले 85 फीसदी से अधिक ग्राहक MSME के हैं। ECGC विश्व के करीब दो सौ देशों के लिये निर्यात बीमा मुहैया कराती है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME)
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के संवर्द्धन एवं विकास को सरल एवं सुविधाजनक बनाने हेतु 2 अक्तूबर, 2006 को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम (MSMED Act), 2006 विनियमित किया गया था। इस अधिनियम के तहत MSMEs को निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया गया है:
- विनिर्माण क्षेत्र के उद्यम- इसमें उद्यमों को संयंत्र और मशीनरी (Plant & Machinery) में किये गए निवेश के संदर्भ में परिभाषित किया गया है।
उद्यम का प्रकार | संयंत्र एवं मशीनरी में किया गया निवेश (रुपए में) |
सूक्ष्म (Micro) | 25 लाख तक |
लघु (Small) | 25 लाख से अधिक किंतु 5 करोड़ से कम |
मध्यम (Medium) | 5 करोड़ से अधिक किंतु 10 करोड़ से कम |
- सेवा क्षेत्र के उद्यम- सेवाएँ प्रदान करने में लगे उद्यमों को उपकरणों (Equipment) में निवेश के संदर्भ में परिभाषित किया जाता है।
उद्यम का प्रकार | उपकरणों में किया गया निवेश (रुपए में) |
सूक्ष्म (Micro) | 10 लाख तक |
लघु (Small) | 10 लाख से अधिक किंतु 2 करोड़ से कम |
मध्यम (Medium) | 2 करोड़ से अधिक किंतु 5 करोड़ से कम |
एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन लिमिटेड (ECGC)
- ECGC भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिये निर्यात ऋण बीमा सेवा मुहैया कराने वाली भारत सरकार की प्रमुख निर्यात ऋण एजेंसी है।
- ऋण पर निर्यात करने के जोखिम को कवर कर निर्यात संवर्द्धन अभियान को मज़बूत करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन लिमिटेड (ECGC) की स्थापना की गई।
- इसमें निर्यातकों को वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात में होने वाली हानि के बदले ऋण जोखिम बीमा कवर प्रदाब करने का प्रावधान है तथा यह बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को गारंटी भी प्रदान करती है जिसमें जिससे निर्यातक उनसे बेहतर सुविधाएँ प्राप्त कर सकें।
- इसका उद्देश्य निम्नलिखित के लिये बीमा कवर प्रदान करना है-
♦ निर्यातकों को राजनैतिक और वाणिज्यिक जोखिमों के लिये
♦ निर्यातकों को विनिमय दर में उतार-चढ़ाव के लिये
♦ बैंकों को उनके द्वारा प्रदत्त निर्यात ऋण और गारंटियों के लिये
♦ विदेशों में भारतीय निवेशकों को राजनैतिक जोखिमों के लिये।
राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (NEIA)
- राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (NEIA) वाणिज्य मंत्रालय द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट है| इसका प्रशासन ECGC लिमिटेड के अंतर्गत किया जाता है|
- भारत के परियोजना निर्यात को परंपरागत और विकासशील देशों के नए बाजारों में बढ़ावा देने के लिये NEIA के तहत क्रेता को ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं|
- इस वित्तपोषण कार्यक्रम के तहत संप्रभु विदेशी सरकारों और सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं को भारतीय माल एवं सेवाओं के आयात के लिये आस्थगित ऋण शर्तों पर मध्यम तथा लंबी अवधि के लिये ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं|
ICSSR का नया विज़न : प्रासंगिक नीति के लिये अनुसंधान को बढ़ावा
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 : शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध। (खंड-13 : स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
चर्चा में क्यों?
इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR) द्वारा प्रदान की गई शोध परियोजनाओं को एक साथ आगे बढ़ाने के प्रयास में नीतिगत अनिवार्यताओं के साथ समन्वित होने वाले “शुद्ध वैचारिक अनुसंधान” द्वारा आगे बढ़ने के लिये शीर्ष सामाजिक विज्ञान अनुसंधान निकाय ने प्रमुख क्षेत्रों में भविष्य के लिये ब्लू प्रिंट तैयार किया है| इसने IMPRESS (Impactful Policy Research in Social Sciences -सामाजिक विज्ञान में प्रभावशाली नीति अनुसंधान) नामक एक विज़न दस्तावेज़ सरकार को भेजा है|
विज़न डॉक्यूमेंट में शामिल विषय
- इसके अलावा निकाय ने संभावित विषयों की एक विस्तृत सूची भी तैयार की है जिसके आधार पर वे अनुसंधान का समर्थन करना चाहेंगे।
- सरकार को भेजे गए दस्तावेज़ में कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की गई है। इनमें सार्वजनिक-निजी साझेदारी, खाद्य सुरक्षा, मेक इन इंडिया (वर्तमान सरकार की एक प्रमुख नीतिगत पहल), संघवाद, क्षेत्रवाद और इसके प्रभाव आदि पर शोध प्रस्ताव शामिल हैं।
- ज़रूरी बात यह है कि दस्तावेज़ में उल्लिखित महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ कराने का विचार है।
- फेक न्यूज़, पेड न्यूज़ और मीडिया स्वामित्व, अनुसंधान के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में शामिल हैं|
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ साझा दस्तावेज़ के अलावा, ICSSR ने आंतरिक रूप से अनुसंधान के लिये कुछ प्रमुख विषयों को भी तैयार किया है। इनमें कृषि क्षेत्र के मुद्दे, किसानों की समस्याएँ, कृषि विकास, गरीबी उन्मूलन, विनिर्माण पुनरुद्धार, व्यापार और निवेश नीति, उदारीकरण आदि शामिल हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR)
- इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR) की स्थापना 1969 में भारत सरकार द्वारा देश में सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये की गई थी।
- इसके मुख्य कार्य हैं-
1. सामाजिक विज्ञान अनुसंधान की प्रगति की समीक्षा करना और अपने उपयोगकर्त्ताओं को सलाह देना|
2. सामाजिक विज्ञान अनुसंधान कार्यक्रमों और परियोजनाओं को प्रायोजित करना और सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान के लिये संस्थानों और व्यक्तियों को अनुदान देना|
3. सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान के लिये छात्रवृत्ति और फैलोशिप की व्यवस्था करना|
4. उन क्षेत्रों को इंगित करना जिनमें सामाजिक विज्ञान अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाना चाहिये और उपेक्षित या नए क्षेत्रों में अनुसंधान के विकास के लिये विशेष उपायों को अपनाना|
5. सामाजिक विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में कार्यरत संस्थानों, संगठनों और पत्रिकाओं को वित्तीय सहायता देना|